गहराती जा रही है रात, बात कर लें। शिकवे जो रहे गुस्ताख, राख कर लें। गहराती जा रही है रात, बात कर लें। शिकवे जो रहे गुस्ताख, राख कर लें।
इस कविता में मैंने वर्षा ऋतु का स्वागत अलग अलग लोगों द्वारा कैसे किया जाता है और अपने अंतरमन के विचा... इस कविता में मैंने वर्षा ऋतु का स्वागत अलग अलग लोगों द्वारा कैसे किया जाता है और...
श्रमदान और कर्मदान की तुम ही जीवित मूरत हो। श्रमदान और कर्मदान की तुम ही जीवित मूरत हो।
कैनवास के रंग.. कैनवास के रंग..
भीड़ भरती थी भारी, कभी शाम को तो कभी भरी दुपहरिया में, कुछ चेहरे अनुभावों वाले चांदनी भीड़ भरती थी भारी, कभी शाम को तो कभी भरी दुपहरिया में, कुछ चेहरे अनुभावों ...
दुपहिया वाहन चल रहा, लेकर तीन सवारी लंबा रास्ता, पैट्रोल की टंकी फुल उसपे मोबाइल में दुपहिया वाहन चल रहा, लेकर तीन सवारी लंबा रास्ता, पैट्रोल की टंकी फुल उस...